भावनात्मक बुद्धिमत्ता { Emotional Intelligence}
भावना एक महसूस करने की अवस्था हैं , जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी मजबूत भावना व्यक्त करता हैं। जैसे - प्रेम ,क्रोध, डर, तनाव, रूचि, दुःख इत्यादि।
बुद्धि/इंटेलिजेंस - एक मानसिक क्षमता हैं, जिसमें मानव अपनी तार्किक योग्यता के अनुसार वस्तुओं व चीजों को समझता हैं तथा उपयुक्त संसाधनों के साथ स्थितियों का समझता और संभालता हैं।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता {EI ) -एक भावनात्मक जागरूकता हैं, जिसमें आप अपनी खुद की भावनाओं को नियंत्रित करने के साथ साथ अन्य लोगों की भावनाओं को भी समझने के योग्य बनती हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता से युक्त व्यक्ति परिस्थितियों का विश्लेषण काफ़ी बेहतर और कुशल तरीके से कर सकता हैं।
EI एक व्यावहारिक तत्व है, यह परस्पर वैचारिक आदान - प्रदान तथा विचारों के विश्लेषण का परिणाम होता हैं। कुछ सीमा तक यह लोगों के आतंरिक गुणों पर भी निर्भर करता हैं।
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हमने अपने जीवन में कितनी बार भावनात्मक बुद्धिमत्ता या भावनात्मक प्रज्ञता के बारे में पढ़ा या सुना हैं ?
भावनाएँ क्या होती हैं ? और भावनाओं के साथ बुद्धि का क्या संबंध हैं ? हमारे जीवन में इसका क्या काम हैं ? हम इसका विकास कैसे कर सकते हैं ? इसका क्या महत्व हैं ?
हम कई बार बिना सोचे समझे दूसरों की भावनाओं को ठेस पंहुचा देते हैं, इसका क्या अर्थ है, और यदि कोई इंसान यह बार-बार करें ? इसका साफ़ मतलब हैं उस व्यक्ति में भावनात्मक जागरूकता का अभाव हैं। उदाहरण के लिये - कभी सोचा क्यों लोग एक - दूसरे को डराते- धमकाते हैं , उनमे क्यों इतनी आक्रामकता हैं - घर, ऑफिस , सड़कों, टॉक्सिक रिलेशन्स ? ऐसा ज्यादातर Insecurities के वजह से होता जिसका कारण हैं, लोगों में भावनात्मक प्रज्ञता की कमी।
Emotional Intelligence का ऐतिहासिक विकास
19वी शताब्दी में सोरेन कीर्केगार्ड का कहना था कि मानव के पहचान उसकी बुद्धि से न होकर उसकी भावनाओं से होनी चाहिये।
1920 में थोर्नडाइक ने सोशल इंटेलिजेंस की अवधारणा दी।
1940 में डेविड वेसलर लिखते कि - व्यक्ति की सफलता में बौद्धिक पक्ष के साथ-साथ भावनात्मक पक्ष को भी महत्त्व दिया जाना चाहिये।
1983 में हॉवर्ड गार्डनर द्वारा बहुल बुद्धिमत्ता का सिद्धांत (Theory of Multiple Intelligences ) दिया।
1985 में Wayne Payne के द्वारा पहली बार भावनात्मक बुद्धिमत्ता को परिभाषित किया।
1990 में जॉन मेयर और पीटर सालोवी ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर एक निबंध लिखा। जो बाद में पुस्तक के रूप में सामने आया -"What is Emotional Intelligence"।
1995 में डेनियल गोलमैन की "Emotional Intelligence: Why it can matter more than IQ" .
जॉन मेयर और पीटर सालोवी का मॉडल :-
1990 में "What is Emotional Intelligence" भावनात्मक बुद्धिमत्ता को परिभाषित करते हुए बताया की। भावनात्मक बुद्धिमत्ता वह योग्यता हैं , जिसमें व्यक्ति अपनी और अन्य व्यक्तियों की भावनाओं व अनुभूतियों की पहचान करता हैं। तथा भावनाओं को चिंतन प्रकिया से जोड़कर समझा जा सकता है, उन्हें नियमित किया जा सकता हैं , ताकि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास हो सकें।
- भावनाओं को प्रत्यक्ष करने की क्षमता।
- भावनाओं का प्रयोग चिंतन को प्रेरित करने के लिए करना।
- एक - दूसरे की भावनाओं को समझने की कोशिश करना।
- भावनात्मक अभिव्यक्ति के समय भावनाओं का प्रबंधन करना।
डेनियल गोलमैन का मॉडल
डेनियल गोलमैन के अनुसार कैसे एक व्यक्ति अपने अंदर भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विकास कर सकता है। EI एक कौशल हैं, जिसको सीखा जा सकता हैं। गोलमैन द्वारा दिए गए पांच सिद्धांत इसी भावनात्मक बुद्धिमत्ता को विकास करने से सम्बन्धी हैं -
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1. स्व - जागरूकता {Self-Awareness}
2. आत्म - नियमन {Self- Regulation}
3. आत्म -प्रेरणा {Self-Motivation}
4. सहानुभूति {Empathy}
5. सामाजिक दक्षताएँ {Social Skills}
1. स्व - जागरूकता {Self-Awareness} - इसका अर्थ यह हैं कि हर व्यक्ति को अपनी मनोस्थिति, भावना, अनुभूति, लक्ष्य, दर्शन आदि चीजों के बारे में ज्ञात होना। डेनियल गोलमैन के अनुसार व्यक्ति अपने जीवन में बेहतर निर्णय तभी ले सकता हैं, जब वह खुद के व्यक्तित्व से परिचित हो।
2. आत्म - नियमन {Self- Regulation}- इसका अर्थ यह हैं कि अपनी भावनाओं के स्वभाव, भावनाओं की तीव्रता को समझना तथा उसकी के अनुसार अभिव्यक्ति करना। अपनी जटिल भावनाओं को समझना और नियमित करना।
3. आत्म -प्रेरणा {Self-Motivation}- अपने निराशा के क्षण में खुद संभालना तथा अपनी जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखना। " Auto Suggestive Mode " ( खुद को सलाह देना )।
4. सहानुभूति {Empathy}- दूसरों की भावनाओं को सटीकता से समझने की क्षमता उनकी मनोस्थिति का मूल्यांकन कर बात करना। खुद को उनकी परिस्थितियों में रखकर सोचने की क्षमता।
5. सामाजिक दक्षताएँ {Social Skills}- इसका अर्थ हैं कि सामाजिक स्थितियों और तंत्र को समझ कर अपने रिश्तों में भावनाओं व अनुभूति को संभालने की प्रतिभा होना। जैसे - सभी से साथ अच्छे से बात तथा व्यवहार करना, एक समूह में सदस्य के रूप में उचित रूप से काम करना, समूह में किसी व्यक्ति की कमजोरी न देखकर, बल्कि उसकी रुचियों, अभिवृति को समझते हुए कार्य करना। टीम भावना जैसी प्रवत्ति का विकास करना।
गोलमैन के अलावा भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विकास के लिए कदम (5 Steps) :-
- अपनी भावनाओं को स्वीकार करना।
- सभी भावनाओं अलग कर उनका विश्लेषण करना।
- Journal लिखना।
- अपनी भावनाओं और उनकी उत्पत्ति पर को समझना।
- अपनी भावनाओं को संभालना।
- दूसरों को भावनाओं को समझना।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता {EI} के लाभ :-
1. ख़ुद को जानने व समझने की क्षमता का विकास करता हैं।
2. आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद करता हैं।
3. भावनात्मक व मानसिक तनाव से मुक्ति में सहायक हैं।
4.पारस्परिक संबंधों के विकास में उपयोगी होता हैं।
5. प्रबंधन करने की क्षमता को बढ़ाता हैं।
6. सहिष्णुता का विकास करता हैं।
आज हम जिस दुनिया में रहते है, वहाँ खुद के लिए समय निकलना बहुत मुश्किल हैं। हम सभी में से ऐसे कितने लोग हैं, अपनी सभी feelings को समझते हैं और उस पर काम करते हैं। कि इस फीलिंग का क्या मतलब हैं और अभी ही क्यों मुझे यह महसूस हो रही हैं, शायद इस भावना की उत्पत्ति ही इसका समाधान हो। हमारा ध्यान भटकने के लिए आज बहुत से संसाधन मौजूद हैं, जो इंसान को इंसान से दूर करने के लिए काफ़ी हैं। Emotional Intelligence हमें खुद को जानने में मदद करता हैं। खुद की और दूसरों की भावनाओं की इज़्ज़त करने मदद करता हैं। " जहाँ में उसने बहुत बात कर ली , जिसने अपने से खुद बात कर ली."
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