74th Years Of Universal Declaration of Human Rights in Hindi

 74th Years Of Universal Declaration of Human Rights...

Human Rights
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   मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के Article 1 के अनुसार - "All men are born free and equal" to "All human beings are born free and equal."संपूर्ण विश्व में  10 दिसंबर के दिन को  मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है, यह सयुंक्त राष्ट्र की General Assembly के द्वारा 10 दिसंबर 1948 को अपनाया गया था तथा इस वर्ष इसे 74 वर्ष पूरे  हो चुके है। 

2023 में  मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 75वीं  वर्षगांठ की तैयारी के लिए 1 साल का अभियान शुरू किया गया हैं, जिसमें UDHR की नींव स्थापना, इसकी विरासत, प्रासंगिकता और सक्रिय भूमिका को मनाया जाएगा। इस वर्ष का विषय (Theme ) गरिमा, स्वतंत्रता व सभी के लिए न्याय की सुनिश्चता {Dignity, Freedom, Justice for All } की गयी  है।  

मानवाधिकार क्या है ?

   
सयुंक्त राष्ट्र के अनुसार, " नस्ल, लिंग, राष्ट्रीयता, जातीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य स्थिति की परवाह किये बिना मानव अधिकार सभी मनुष्यों के लिए निहित अधिकार है।"
        मानवाधिकारों में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतत्रंता, काम और शिक्षा का अधिकार, और बहुत कुछ शामिल हैं।  इन अधिकारों पर बिना किसी भेदभाव के सभी को अधिकार है।  

 हैराल्ड लास्की के अनुसार, "अधिकार समाजिक जीवन की व परिस्थितियाँ है जिसके बिना आमतौर पर कोई व्यक्ति पूर्ण आत्म-विकास की आशा नहीं कर सकता।"


इतिहास व उद्भव :-


भारतीय प्राचीन उपनिष्द 'ऋग्वेद' के अनुसार "सभी प्राणी एक सामान है।" तथा अर्थवेद भी इसको सही मानता है। 
पश्चिमी तौर में मानें तो मानव अधिकार की शुरुआत 539 ईसा पूर्व से मानी जाती है।  जब Cyrus ने Babylon को जीतने के पश्चात Cyrus के सभी दासों को मुक्त कर दिया साथ ही उन्हें अपने इच्छा के अनुसार धर्म का चुनाव का अधिकार दिया, और नस्लीय समानता स्थापित करने  प्रयास किया।  
  •  मैग्ना कार्टा (1215)
  • राइट्स ऑफ़ पिटीशन (1628)
  • बिल ऑफ़ राइट्स (1689)
  • गौरवशाली क्रांति (रक्तहीन क्रांति) (1688)
महत्तवपूर्ण घोषणाएं - 17-18 शताब्दी 
  • वर्जीनिया घोषणा के अधिकार (1776) - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण विधानसभा  का अधिकार, निजी संपत्ति एवं निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार।  
  • अमेरिकन स्वतंत्रता की घोषणा (1776) - जीवन, स्वतंत्रता एवं आनंद की खोज। 
  • फ्रांसीसी क्रांति (मनुष्य और नागरिक के अधिकारों की फ्रांसीसी घोषणा) (1789) - स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व। 


  मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration Of Human Rights- (UDHR) )

 
मानव अधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा पत्र को मानवाधिकारों के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता हैं। तथा इस दस्तावेज को 500 से अधिक भाषाओं में अनुवादित किया गया हैं। UDHR ' हर राष्ट्रीय या जातीय मूल, धर्म, भाषा, लिंग तथा  किसी निवास आदि किसी भी अन्य आधार पर बिना भेदभाव के हर व्यक्ति की अधिकारों की गारंटी प्रदान करता हैं।' आखिर हमें UDHR की जरुरत क्यों पड़ी आइये जानते हैं :

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थिति बहुत भयावह हो गयी थी।  चारो ओर लाशों के ढेर तथा युद्ध से निर्मित बीमारियाँ (Famine) फेल गयी थी। आकड़ों को मानें तो द्वितीय विश्व युद्ध  में 50 से 80 मिलियन लोगों (सैनिक तथा आम  नागरिक) की मौत हुई। तब सभी 50 से अधिक राज्यों ने मिलकर 1948 में  UN General Assembly के Resolution 217 A अंतर्गत  की  मानवाधिकारों  के सार्वभौमिक घोषणा पत्र को जारी किया गया ।  जिसमे सामजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक आदि अधिकारों को शामिल किया गया तथा UHDR, साथ में नागरिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और  सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधों और वैकल्पिक प्रोटोकॉल का निर्माण किया। 

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आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक अधिकार 

 
आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधों 1976  में लागू किया गया। जिसमें निम्नलिखित मानवाधिकारों को शामिल किया :-
  • सामाजिक सुरक्षा का अधिकार;
  • अनुकूल परिस्थितियों में काम करने का अधिकार ;
  • समान काम के लिये समान वेतन का अधिकार;
  • पर्याप्त जीवन स्तर और शारीरिक और मानसिक कल्याण के उचित प्राप्त मानकों का अधिकार ;
  • शिक्षा का अधिकार;
  • सांस्कृतिक स्वतंत्रता और वैज्ञानिक प्रगति के आनंद लेना।


नागरिक और राजनीतिक अधिकार 


नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध और प्रथम वैकल्पिक प्रोटोकॉल 1976 में लागू हुआ तथा दूसरा 1989 में अपनाया। 

  • कानून के समक्ष समानता ;
  • दासता से मुक्ति का अधिकार;
  • निर्दयी, अमानवीय व्यवहार तथा सजा से मुक्ति का अधिकार;
  • प्रभावशाली न्यायिक उपचार का अधिकार;
  • न्यायालय द्वारा सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार;
  • विचार, विवेक और धर्म की स्वतंत्रता ;
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ;
  • शांतिपूर्ण सभा व् संघ की स्वतंत्रता ;
  • अपने देश की सरकारी गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार;
  • अपने देश की सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँच का अधिकार;
  • सार्वजनिक मामलों और चुनाव में भागीदारी स्वतंत्रता ;
  • अल्पसंख्यको के अधिकारों की सुरक्षा इत्यादि। 

उद्देश्य 

  • सभी राष्ट्रों व् सभी लोगो के लिए सफ़लता का  समान्य मानक प्रदान करना। 
  • यह मानवाधिकारों को संरक्षण और संवर्धन के लिए बनाया गया एक वैश्विक मापदंड हैं। 
  • समाज के प्रत्येक व्यक्ति को प्रगतिशील उपायों द्वारा अधिकारों और स्वतंत्रता की प्राप्ति को सुनिश्चित कराना। 
  • प्रत्येक व्यक्ति के सभी सार्वभौमिक अधिकारों और स्वतंत्रता को प्रभावी मान्यता को सुरक्षा प्रदान करना। 

भुखमरी,ग़रीबी, संसाधनों का शोषण, असमानता का विस्फ़ोट, Covid -19 महामारी, रूस -यूक्रेन युद्ध, जलवायु परिवर्तन आदि मुद्दों को लेकर पिछले कुछ दशकों में UHDR के उद्देश्य, गरिमा और अधिकार की समानता के वादों पर निरंतर सवाल खड़े किये गए है। 

भारतीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने मानव अधिकार दिवस पर सभी को सम्बोधित करते हुए कहा की " संवेदनशीलता और सहानुभूति विकसित करना अधिकारों को बढ़ावा देना की कुंजी है। " 
साथ ही कहा - 5 साल पहले उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा की " यमुना और गंगा नदी को इंसान के बराबर क़ानूनी अधिकार हैं। " तथा  कि जलवायु परिवर्तन वर्त्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती हैं तथा अब समय आ गया की अधिकारों को एक बार फिर से परिभाषित किया जाए। 






संदर्भ सूची :
https://www.un.org
https://www.pib.gov.in
https://economictimes.indiatimes.com
  

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