ASER Report 2022

Annual Status of Education Report (Rural)  {ASER } 2022


 2018 के बाद प्रथम एनजीओ ने 4 वर्ष के बाद राष्ट्रीय वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) जारी की हैं।  यह राष्ट्रीय सर्वेक्षण प्रथम फाउंडेशन के द्वारा किया जाता है तथा यह शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट है। 

1996 में पहली बार अस्तित्व में आया यह एक गैर-सरकारी संगठन है।  प्रथम एनजीओ ने पूरे भारत में हजारों गांव और शहरी झुग्गियों में बच्चों के साथ काम किया है तथा 2005 से यह सर्वेक्षण हर साल आयोजित किया जाने लगा।  यह विशाल वार्षिक कार्य देश के नागरिकों को देश के प्रत्येक ग्रामीण जिले के स्थानीय संगठनों और संस्थाओं में भागीदारी के माध्यम से बच्चों की पढ़ने और बुनियादी अंकगणित करने की क्षमता को समझने और ट्रैक करने में  संलग्न  है। यह भारत के नागरिकों के समूह (citizen group ) द्वारा आयोजित किया जाने वाला सबसे बड़ा घरेलू सर्वेक्षण माना जाता है, जो 25,000 से अधिक स्वयंसेवकों द्वारा किया जाता है, और प्रत्येक वर्ष 15,000 गांव में 7000,000 से अधिक बच्चों को कवर करता है।




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ASER Report 2022


कोविड-19 के बाद 2022 में प्रथम एनजीओ ने सर्वेक्षण फिर से शुरू किया है,  जिसके मुख्य बिंदु इस प्रकार है :-


  • इस रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों में नामांकन स्तर में सुधार (6 से 14 वर्ष कि आयु के बच्चे)देखा गया हैं। 2018 से 2022 की अवधि में सरकारी स्कूल नामांकन में 7.3%  की वृद्धि हुई है ।
  • निजी कोचिंग में बच्चों की रुचि बढ़ी है। 2018 से 2022 के बीच सभी राज्य में निजी कोचिंग /ट्यूशन क्लासेस लेने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
  • बिहार में स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की अंग्रेजी और गणित की क्षमता में इजाफा हुआ है , तथा 15 से 16 साल की अनामांकित लड़कियों का अनुपात घटा है ।
  • गौरतलब है कि इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि स्कूल में छात्र और शिक्षकों दोनों की अटेंडेंस स्थिर रही है तथा बच्चों की उपस्थिति का आंकड़ा 72% के करीब है, वहीं शिक्षकों के मामले में यह आंकड़ा 85% से थोड़ा अधिक है। 
  • सबसे कम अटेंडेंस वाले राज्यों में यूपी, एमपी, त्रिपुरा बिहार राज्य शामिल है।
  • महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं जहां सबसे अधिक उपस्थिति देखने को मिली है।
  • ASER रिपोर्ट ये खुलासा करती हैं कि समझ और अंक ज्ञान के साथ पढ़ने में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल NIPUN (National initiative for proficiency in reading with understanding and numeracy) )तथा FLN (foundation literacy and numeracy) mission लर्निंग आउटकम को बेहतर करने में मददगार साबित हुए।
  •  लगभग 80% स्कूलों का कहना है कि हमें इस मिशन के अंतर्गत सरकार द्वारा निर्देश प्राप्त हुए और शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया।

What is NIPUN mission?

National initiative for proficiency in reading with understanding and numeracy इस मिशन की शुरुआत जुलाई 2021 में की गई थी। यह मिशन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारत के शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। यह योजना सुनिश्चित करती है कि भारत में प्रत्येक बच्चा ग्रेड 3 के अंत तक आधारित संख्या और साक्षरता प्राप्त कर सके। इस योजना के तहत 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों पर ध्यान दिया जाता है।


What is FLN mission?

मूलभूत साक्षरता और अंक ज्ञान  मिशन यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख विषयों में से एक है। इस मिशन का उद्देश्य सभी बच्चों को स्वतंत्र रूप से समझ के साथ लिखना, संख्या बोध, गणितीय समझ तथा समस्या समाधान विकसित करना है।




 2022 में विश्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार भारत ने अपने बजट का 14.1 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया और  वही वियतनाम मे18 पॉइंट 5% और इंडोनेशिया में 20 पॉइंट 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करते है। निवेश के लिए सरकार की प्राथमिकता सड़क, रेलवे, और बिजली जैसे भौतिक बुनियादी ढांचे है, परंतु समावेशी भविष्य के लिए शिक्षा में निवेश सबसे प्राथमिकता वाला क्षेत्र है तथा साथ ही अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा तथा रिसर्च एंड डेवलपमेंट।



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