तुर्की और सीरिया में भूकंप हादसा

 तुर्की और सीरिया में भूकंप हादसा



फरवरी 2023 को आए भूकंप ने तुर्की और सीरिया में 7800 लोगों की जान ले ली है। आशंका जताई जा रही है कि यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। जिसमें एनातोलिया टेक्टोनिक ब्लॉक के रूप में जानी जाने वाली प्लेट प्रसिद्ध भ्रंश प्लेट सीमा के साथ टकरा गई। 7.8 तीव्रता के भूकंप के बाद 7.5 तीव्रता का दूसरा बड़ा भूकंप आया। पहला भूकंप का झटका 7.8 की तीव्रता का था, परंतु बाद में 100 से अधिक झटके आए, जिनकी तीव्रता 4 से 5 के बीच थी।अभी तक मौत के आंकड़े अस्पष्ट है, लेकिन इसमें हजारों लोगों की जान जाने की खबर आ रही हैं।

 दर्जनों इमारतें मिट्टी के ढेर में बदल गई हैं इतना ही नहीं सीरिया की सीमा के पास पेट्रोल की पाइप लाइन फटने से कई जगह पर आग लगने की घटनाएं भी सामने आई है। तुर्की में 1939 भूकंप का 7.5 तीव्रता से ज्यादा था। तुर्की के संदर्भ में शताब्दी का सबसे शक्तिशाली भूकंप और वर्ष 1939 के बाद से सबसे खराब आपदा के रूप में वर्णित किया जा रहा है। वर्ष 1939 का भूकंप एर्ज़िनकन भूकंप था जिसने "एर्ज़िनकन मैदान और केल्किट नदी घाटी" में अत्यधिक क्षति पहुँचाई थी। 


आपदा आपातकालीन प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार 2020 में इसी क्षेत्र में लगभग 33000 भूकंप के झटके दर्ज किए गए थे जो अपने आप में आश्चर्यचकित करता है।





भूकंप -  भूकंप का अर्थ पृथ्वी की कंपन से होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं।


भूकंप क्यों आते हैं?



Image Source: www.storyboardthat.com


भूकंप प्राकृतिक और मानवीय दोनों ही कारणों से हो सकता है जिसके कुछ प्रमुख कारण है। यथा -

  • ज्वालामुखी क्रिया
  • भूसंतुलन में संबंधित समायोजन
  • प्लेटो की गतिशीलता
  • वलन तथा भ्रंशन  ( folding and faulting )
  • क्रस्ट का संकुचित होन
  • आभ्यांतरिक गैसों की मात्रा में वृद्धि ( Increase in the amount of internal gases )
  • जलीय भार 
  • पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूणन ( Earth's rotation on its axis )
  • परमाणु व रासायनिक परीक्षण एवं विस्फोट आदि।



हमारी पृथ्वी भीतर से चार भागों में विभाजित है जिसे आंतरिक कोर  ,बाहरी कोर, मेंटल और क्रस्ट (crust) नाम से जाना जाता है। तथापि पृथ्वी के ऊपरी हिस्सा क्रस्ट और बाहरी मेंटल कहा जाता है।


 पृथ्वी में कंपन क्यों होता है? 


प्रायः भ्रंश के किनारे - किनारे ही ऊर्जा निकलती है। भूपर्पटी की शैलो में गहन दरारे ही भ्रंश होती हैं। भ्रंश के दोनों तरफ शैले विपरीत दिशा में गति करती हैं। जहां ऊपर के शैलखंड दबाव डालते हैं, उनके आपस का घर्षण उन्हें परस्पर बांधे रहता है। फिर भी अलग होने की प्रवृत्ति के कारण एक समय पर घर्षण का प्रभाव कम हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप शैल खंड विकृति होकर अचानक एक दूसरे के विपरीत दिशा में सरक जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा निकलती है और ऊर्जा तिरंगे सभी दिशाओं में गतिमान होती हैं वह स्थान जहां से ऊर्जा निकलती है जिस जगह से भूकंप का कंपन प्रारंभ होता है उसे उद्गम केंद्र या हाइपरसेंटर (HYPOCENTRE ) कहते हैं। तथा जहां पर भूकम्पीय लहरों का अनुभव सबसे पहले किया जाता है उसे भूकंप केंद्र एपीसेंटर (EPICENTRE)  कहते हैं।


भूकंपीय तरंगे


सभी प्राकृतिक भूकंप स्थलमंडल (लिथोस्फीयर) ही आते हैं। भूकम्पीय यंत्र सिस्मोग्राफ  सतह पर पहुंचने वाले भूकंप तरंगों को अभीलेखित करता है। भूकंप के दौरान भूकंप के उद्गम केंद्र से ऊर्जा विमुक्त होती है तथा भूकंप के दौरान पृथ्वी में कई प्रकार की लहरें उत्पन्न होती है इन लहरों को भूकंप लहरें सीस्मिक वेव्स (Seismic waves ) कहा जाता है मुख्य रूप से भूकंप लहरों को तीन भागों में रखा गया है-


  • प्राथमिक तरंगे

यह तरंग पृथ्वी के अंदर प्रत्येक माध्यम से होकर गुजरती हैं इसकी औसत गति 8 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है यह गति सभी तरंगों से अधिक होती है जिससे यह तरंगे किसी भी स्थान पर सबसे पहले पहुंचते हैं पी तरंगे ध्वनि तरंगे जैसी होती है यह गैस,  तरल, और ठोस तीनों प्रकार के पदार्थों से होकर गुजरती है


  • द्वितीय अथवा सेकेंडरी तरंगें


इस तरंग धरातल पर कुछ समय के अंतराल के बाद पहुंचते हैं यह तरल और ठोस माध्यम से होकर गुजरती हैं।


  • सतही तरंगे

इन्हें धरातलीय तरंग भी कहा जाता है। इन तरंगों की खोज एच डी लव ने की थी इसीलिए कई बार लव के नाम से भी पुकारा जाता है यह तरंगे धरातल तक ही सीमित रहती है यह ठोस, तरल तथा गैस तीनों माध्यम से होकर गुजर सकती हैं। यह तरंगे अत्यधिक विनाशकारी होती हैं।




टेक्टोनिक प्लेट 


पृथ्वी का ऊपरी हिस्सा कई भागों में विभाजित है जिसे टेक्टोनिक प्लेट के नाम से जाना जाता है। क्या होती है? टेक्टोनिक प्लेट्स भूकंप से इनका क्या संबंध है?







  • तुर्की में निरंतर भूकंप की वजह विवर्तनिक अवस्थिति अर्थात टेक्टोनिक लोकेशन है।


  • पृथ्वी की  बाहरी भारत में लगभग 15 प्रमुख स्लैब हैं जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट कहा जाता है इन प्लेटों के बीच के विभाजन को फॉल्ट के कहा जाता हैं। तथा अधिकांश भूकंप की शुरुआत इसी फॉल्ट जोन से होती है।


  • टेक्टोनिक प्लेट्स हमेशा गति करती हैं, जिनसे टकराव की स्थिति का निर्माण होता है। इन टकराव के कारण ऊर्जा का संचार होता है, ऊर्जा आगे जाकर भूकंप का निर्माण करते हैं।


  • एक अनुमान के अनुसार तुर्की का लगभग 95% भूभाग भूकंप के प्रति संवेदनशील है जबकि देश का लगभग एक तिहाई उच्च जोख़िम भी वाले क्षेत्रों में शामिल है।


  • टेक्टोनिक प्लेट के किनारे काफी कठोर होते हैं तथा तथा जब यह प्लेट्स गति करती हैं तो उनके किनारे फॉल्ट आपस में फस जाते हैं वही प्लेट का दूसरा हिस्सा निरंतर गति करता रहता है जिसके कारण फॉल्स पर ऊर्जा जमा हो जाती है, तो एक साथ सीस्मिक तरंगों के रूप में चारों ओर प्रसारित हो जाती हैं तथा कंपन जारी हो जाता है।



तुर्की में इतने भूकंप के झटके क्यों आते है?

  

  • तुर्की की जटिल भौगोलिक संरचना के कारण।
  • अनातोलियन टेक्टोनिक प्लेट (Anatolian tectonic plate)
  •  तुर्की अफ़्रीकी, अरब, और यूरोपियन प्लेट्स से घरा हुआ है


भारत की भूमिका :


6 फरवरी 2023 में  तुर्की और सीरिया में आए भूकंप ने तबाही मचा दी है। दुनिया भर के सभी नेताओं ने इस घटना को लेकर अपना दुख व्यक्त किया है। तथा इस घटना को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भूकंप में मारे गए लोगों के परिवार के प्रति दुःख और संवेदना व्यक्त की तथा इस त्रासदी से निपटने के लिए मानवीय सहायता की पेशकश की।

 

पीएम मोदी ने इस हादसे पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा, "तुर्की में भूकंप के कारण जनहानि और संपत्ति के नुकसान से व्यथित हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना। घायल जल्द स्वस्थ हों। भारत तुर्की के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और इस त्रासदी से निपटने के लिए हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है "


प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि पीएम मोदी के निर्देश पर तुर्की को तत्काल मदद भेजने के लिए पीएम के मुख्य सचिव पीके मिश्रा ने अहम बैठक बुलाई और बैठक में फैसला लिया गया कि तुर्की को जल्द से जल्द राहत सामग्री भेजी गयी । जिसमे  NDRF की दो टीमें,  डॉक्टरों और पेरामेडिक्स की एक मेडिकल टीम तथा विशेष डॉग स्कॉड सहित 100 जवान शामिल है।

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