National Human Rights Commission

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग {National Human Rights Commission}

Human Rights
(Human Rights) Image source : https://www.thehansindia.com


हर मानव की एक गरिमा होती हैं, सम्मान होता हैं, जिसके कारण वह समाज में अपनी एक ख़ास पहचान बनाता हैं , जो उसके लिए बहुत बहुमूल्य होती हैं। समकालीन समय की माने तो गर्भ में भ्रूण से लेकर इस पृथ्वी पर रहने वाले हर एक व्यक्ति के पास कुछ बुनियादी मानवाधिकार प्राप्त हैं, जो उससे कोई भी नहीं छीन सकता हैं तथा राज्य किसी भी परिस्थितियों में उन पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है। यह मानवाधिकार व्यक्ति को स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करता हैं। आइये जानते है इसकी शुरुआत कब, कहाँ और कैसे हुई ?

पृष्ठभूमि 

प्रथम व दूसरे विश्व युद्ध में राष्ट्रों ने अपने -अपने के राज्यों के अंदर सभी लोगों पर क्रूर तथा भयानक अत्याचार किये। बड़ी संख्या में जान- मान की हानि हुई, मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। तब सभी राष्ट्रों से तृतीया विश्व युद्ध   न हों, उसके बचाव के लिए 1945 में सयुंक्त राष्ट्र की स्थापना की । जिसका उद्देश्य था कि संपूर्ण विश्व में शांति, सुरक्षा एवं दुनिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देना। परन्तु ऐसा नहीं हुआ, विश्व में दासता, यातना, स्वतत्रंता का अभाव, शोषण आदि समस्याओं में विराम तथा कमी न होकर बढ़ती जा रही थी, तभी 1948 में 48 देशो ने मिलकर  संपूर्ण मानव - जाति के मूल मानवाधिकारों को परिभाषित करते  हुए  मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की। ताकि सभी राष्ट्र अपने - अपने देशों में चार्टर को देखते हुए समझे की मानव को यह बुनियादी मावनाधिकार मिले हुए है तथा इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए। 


 मानवाधिकार क्या हैं ?

सयुंक्त राष्ट्र के अनुसार, " नस्ल, लिंग, राष्ट्रीयता, जातीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य स्थिति की परवाह किये बिना मानव अधिकार सभी मनुष्यों के लिए निहित अधिकार है।"


मानवाधिकार मैलिक अधिकारों से व्यापक हैं, क्योंकि मैलिक अधिकार नागरिक होने के नाते मिलते हैं जबकि मानवाधिकार मनुष्य होने के नाते मिले हैं। मानवाधिकार हर व्यक्ति को जन्म से मिले हुई हैं।  तथा इसमें नागरिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और  सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं। इन अधिकारों की उपस्थिति की मांग कर सकता हैं। 


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

भारत में मानवाधिकारों की एक स्वतन्त्र निकाय बनने में 45 वर्षों का समय लग गया। विश्व में 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा हुई। पेरिस सिद्धांत का समर्थन करते हुए, 12 अक्टूबर 1993 भारत में मानवाधिकार संरक्षण के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गयी तथा इसके साथ-साथ राज्यों में भी मानवाधिकारों आयोगों का गठन किया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग देश के मानव अधिकारों की संरक्षक की सबसे सर्वोच्च संस्था हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक निकाय (Statutory body) तथा एक अर्ध- न्यायिक संगठन हैं, जो मानव अधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित शिकायतों की जांच करता हैं। NHRC मानवाधिकारों के प्रचार एवं संरक्षण के लिए भारत की चिंता का एक प्रतीक हैं। 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों  की नियुक्ति 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गठित 6  सदस्यों की संसदीय समिति की सिफारिश पर होती हैं तथा इसे समिति सलाह बाध्यकारी होगी। इस  समिति में सदस्य शामिल हैं जैसे -
  • प्रधानमंत्री,
  • लोक सभा अध्यक्ष,
  • राज्यसभा के उप- सभापति ,
  • संसद के दोनों सदनों के मुख्य विपक्षी दाल के नेता और 
  • गृहमंत्री। 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों  का निष्कासन/ Removal

राष्ट्रपति अध्यक्ष व सदस्यों  को निम्नालिखित परिस्थितियों में हटाया जा सकता हैं -
  • यदि वह दिवालिया हो जाए। 
  • यदि वह कार्यकाल के दौरान किसी अन्य लाभ के पद हो। 
  • यदि वह मानसिक या शारीरिक विकारों कारण काम  असमर्थ हो। 
  • यदि वह न्यायलय द्वारा किसी अपराध में दोषी हो। 
  • यदि कोई अध्यक्ष व सदस्यों दुराचारी या अयोग्य हो तो परन्तु इसमें सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अंतिम होता हैं। 
 
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य :-

  • मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना।
  • न्यायालय में मानवाधिकार से सम्बंधित किसी भी मामलों में हस्क्षेप कर सकता है।  
  • जेलों व बंदीगृहों में जाकर की स्थिति की जाँच करना व इस बारे में सिफारिशे करना। 
  • मानवाधिकार की रक्षा हेतु बनाए गए सवैंधानिक व विधिक उपबंधों कोई समीक्षा करना। 
  • आतंकवाद सहित उन सभी कारणों  की समीक्षा करना, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तथा इनसे  बचाव के उपायों की सिफारिश करना। 
  • मानवाधिकारों से सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय  संधियों व दस्तावेजों का अध्ययन व उनको प्रभावशाली तरीके  से लागू करने हेतु सिफारिशें करना।  
  • मानवाधिकारों  के क्षेत्र में शोध करना और इसे प्रोत्साहित करना। 
  • लोगों के बीच मानवाधिकारों की जानकारी फैलाना व सुरक्षा के लिए उपलब्ध उपायों के प्रति जागरूक करना आदि। 
 

 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संरचना :-


{Composition of National Human Rights Commission} Image Source : https://blog.ipleaders.in

  • इस अधिनियम के अंतर्गत अध्यक्ष पक्ष के  उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ- साथ उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश भी योग्य होगें। 
  • पहले  2 सदस्यों की नियुक्ति  का प्रावधान था परन्तु 2019 अधिनियम संशोधन के बाद इस संख्या को बढ़ाकर 3 कर दिया गया जिसमे  कम- से -कम एक महिला सदस्य का आवश्यक हैं। 
  • NHRC में  राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC), बाल अधिकार सरंक्षण आयोग  अध्यक्ष तथा दिव्यागों के  लिए मुख्य आयुक्त को भी NHRC  का सदस्य भी नियुक्त होना चाहिए। 
  • वर्तमान में इसमें कुल 13 सदस्यें है।
  • सशोधन से पूर्व NHRC/SHRC  के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष  (70) वर्ष है परन्तु 2019 में इसे घटाकर 3 वर्ष कर दिया और NHRC  & SHRC के अध्यक्ष को पुर्ननियुक्ति  प्रावधान भी शामिल किया गया। 

 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से जुड़े मुद्दे -
 
 आयोग  मानवाधिकार सम्बन्धी कई और मुद्दों / विषय को भी देखता है, जो निम्न इस प्रकार है -
  • भोजन के अधिकार  सम्बंधित मुद्दे। 
  • सरकारी सेवकों द्वारा बच्चो को रोजगार में जाने से रोकना; सेवा नियमावली में संशोधन। 
  • बाल श्रम की समाप्ति। 
  • बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा पर मिडिया के लिए मार्गदर्शिका। 
  • महिलाओं एवं बच्चों का अवैध व्यापार; लैगिंक सवेंदीकरण के लिए न्यायपालिका के  लिए न्याय पुस्तक। 
  • कार्यस्थलों महिला यौन उत्पीड़न को रोकना। 
  • LGBTQ सामुदायिक अधिकार। 
  • विकलांग व्यक्तियों के अधिकार। 
  • पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी भी शक्ति का दुरूपयोग रोकने  के लिए दिशा-निर्देश। 
  • हिरासत में मौत , बलात्कार तथा यत्रंणा  को रोकने  के लिए उठाये गए कदम। 
  • पुलिस, बंदीगृह, अभिरक्षा अन्य केंद्रों में सरंचनात्मक सुधार। 
  • शिक्षा प्रणाली में मानवाधिकार, साक्षरता एवं जागरूकता  बढ़ावा देना। इत्यादि।   

 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग  की सीमाएं :- 

  • NHRC एक वर्ष पूर्व की घटनाओं की जांच नहीं करता। 
  • NHRC किसी को भी दंडित नहीं करता।
  • NHRC पीडतों को मुआवजा भी नहीं  दे सकता। 
  • NHRC की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होती। 
  • NHRC में अनेक मुद्दे जैसे शिकायतों की संख्यों  का अधिक होना; संसाधनों व धन  का अभाव आदि रुकावटें हैं।   

भारत में मानवाधिकार उल्लंघन :-

 NHRC के द्वारा आकड़ों की मानें तो 2018 में 85950, 2019 में 76585, 2020 में  75064,  2022 में 106022 शिकयतें दर्ज़ हुई है। चालू वर्ष में 79610 मामलें सामने आये। नवंबर 2022 (एक प्रारंभिक अनुमान के अनुसार प्राप्त )-7760 - ताजा मामले 8717 -निस्तारण मामले (नए+ पूर्ण) इतना ही नहीं 14394 मामले  विचाराधीन हैं। 


भविष्य की ओर राह:- 

द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) रिपोर्ट  के अनुसार -
  •  जल्द कार्यवाही के  लिए एक टास्क फोर्स का गठन। 
  • शिकायतों के जल्द  समाधान के लिए  आयोग की शक्तियों को बढ़ाने की आवश्यकता है। 
  • आयोग में  वित्तीय सम्बन्धी समस्यों को दूर किया जाए। 
  • पुलिस, न्यायपालिका, सरकार और जाँच एजेंसीयों के  बीच सामंजस्य होना आवश्यक। 

हम सभी लोगों को यह समझने कि ज़रूरत है कि हमारे अधिकारों के संरक्षण की सारी ज़िम्मेदारी केवल  राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नहीं हैं। शिकायतों की संख्या कम होना समाधान नहीं हैं, बल्कि देश के प्रत्येक व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति सजग व जागरूक होने की आवश्यकता हैं। किसी ने सही कहा कि - ' दूसरों के साथ वैसा ही  व्यवहार करो जैसा कि तुम चाहते हो कि वह तुम्हारे साथ करें।' यदि हम बाकी लोगों के अधिकारों का भी उतना ही सम्मान करें जितना अपने अधिकारों का करते हैं। तो एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं। शायद तब  जाकर मानवाधिकारों का विकास व संरक्षण बेहतर तरीके से कर सकें। 

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