राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013

 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013


हाल ही में, केंद्रीय उपभोगता मामलें के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की- जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 {NFSA} के तहत सभी लाभार्थियों को मुफ्त में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा।कोविड -19 के दौरान NFSA के द्वारा 80 करोड़ लाभार्थियों को भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराया गया था, ताकि गरीब, जरूरतमंद लोग , प्रवासी व्यक्तियों  को आर्थिक संकट में अनाज मिल सकें।

कोविड -19 महामारी के दौरान जरुरतमंद लोगों के लिए मुफ्त अन्न की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की गयी थी, और अब 1 जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक इस योजना को आगे बढ़ाया दिया गया हैं।

1997 में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और 2003-04 अंत्योदय अन्न योजना, इन योजनाओं को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत क़ानूनी हक़ मिल गया।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 10 सितम्बर 2013 को लागू किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य हैं  "कि लोगों को गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए उचित दामों व मूल्यों  पर गुणवत्तापूर्ण  भोजन तक उनकी पहुँच को सुनिश्चित करना तथा खाद्य व पोषण की सुरक्षा प्रदान करना।" मूल्यों का निर्धारण सरकारी कार्यकारी आदेशों के द्वारा बदलाव किया जाता है,  जब यह अधिनियम लागू हुआ था। 


  • यह अधिनियम भारत के 67 % परिवारों को लाभ पहुँचाता हैं, जिसमें 50 % शहरी और 75 % ग्रामीण हैं। 
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 
  • सब्सिडी वाले अनाज का अधिकार 
  •  लाभार्थियों को चावल, गेहूँ और मोटे अनाज ₹3, ₹2 और ₹1 प्रति किलोग्राम के मूल्य पर दिया जाएगा। 
  • गर्भवती महिला और स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के 6 महीने के बाद भोजन के अलावा कम-से - कम 6000 का मातृत्व लाभ प्रदान किया जाता हैं। 
  • स्कूलों में  मिड-डे-मील का प्रदान कराना। 
  • इस अधिनियम के अनुसार 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को घर का मुखिया माना जाएगा और राशन कार्ड भी उसी के नाम से जारी किया जाता हैं। (महिला सशक्तिकरण)
  • लाभार्थियों को उनके हिस्से का खाद्यान्न की अनुपलब्धता होने पर लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ते का अधिकार प्राप्त हैं। 
  • जिला और राज्य स्तर शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की गयी है। 
आर्थिक बोझ :

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के कारण सरकार पर आर्थिक बोझ निरंतर बढ़ता गया हैं जैसे -
  • अनाज की सामूहिक लागत में बढ़ोतरी -  चावल की आर्थिक लागत 2013-14 - 2,615.51 क्विंटल से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में  3,670.64 क्विंटल हो गया हैं। 
  • खरीद संबंधी खर्च में तेज़ी से वृद्धि हुई हैं। 
  • अधिग्रहण लागत 
  • वितरण लागत - 2023 में NFSA के तहत खाद्यान्न बाँटने  की लागत करीब ₹ 2 लाख करोड़ रखी गई हैं।  
  • खाद्य सब्सिडी बिल में वृद्धि - बजट 2022 -2023 ₹ 206831.09 करोड़  की सब्सिडी निर्धारित की गयी थी। 

 प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना-  कोविड काल में शुरू की गयी थी और दिसंबर 28 को प्रधानमंत्री जी के द्वारा इस योजना के सातवे चरण की उद्घोषणा की गयी। इस  योजना से सरकारी ख़जाने पर ₹13,900 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। परन्तु NFSA लाभार्थियों को बचत होगी। 

  • छठे चरण में लगभग ₹ 3.45 लाख करोड़ का खर्च हुआ। 
  •  1,121 लाख मैट्रिक टन का कुल खाद्यान्न वितरण हुआ। 
  • देश के खाद्यान्न भंडार में  कमी देखी गयी। 

 वैश्विक भूख सूचकांक 2022  में भारत का प्रदर्शन 121 देशों में से 107 रहा। भारत में कुपोषण का प्रसार 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने पाया कि स्टंटिंग {Stunting} मुख्य रूप से स्वास्थ्य और पोषण, घरेलू परिस्थितियों (जैसे सामाजिक आर्थिक स्थिति) और मातृ कारकों (जैसे माताओं के स्वास्थ्य और शिक्षा का अभाव) के कवरेज में सुधार के जवाब में गिर गया है। इस  सन्दर्भ में भारतीय सरकार कदम उठाती रही हैं। पर हर व्यक्ति की भी कुछ  ज़िम्मेदारी/ फ़र्ज़ बनता हैं, की वह अपनी तरफ से भी प्रयास करते रहे। भोजन/ अन्न का महत्व उसे ही पता जो भूखा है। भोजन पर सभी का हक़ है इसलिए भारतीय संविधान भाग 4 में स्थित नीति निर्देशक तत्व का अनुच्छेद 39(1) और 43 A भी इसी  बात को प्रोत्साहन देते हुए नज़र आते हैं। 


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